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लेखनी कहानी -17-Oct-2022 नवरात्रौ में दुर्गा पूजा भाग 2


       शीर्षक। :-  नवरात्रौ में दुर्गा पूजा
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        जब  श्राद्ध समाप्त हुए तब सौनू ने देखा कि उसके घर में पुनः कुछ तैयारी चल रही है। सौनू को यह सब देगकर आश्चर्य हुआ और वह अपनी दादीजी के पास पहुँचकर पूछने लगा," दादी जी आज क्या है ? अब किसकी तैयारी  चल रही है। "

     तब उसकी दादी उसे समझाते हुए बोली  " सौनू बेटा अब माता के ऩरात्रे आगये है  हम  सभी मिलकर सुबह शाम माँ दुर्गा की नौ दिन तक आराधना करेंगे।

      सौनू को आपनी दादी की बात सुनकर थोडा़ आश्चर्य हुआ और वह  पूछने लगा," दादी जी यह नवरात्रे क्या होते  हैं। "

      सौनू की दादी उसे समझाते हुए बोली ," आज से नव रात्रे आरम्भ होगये है आज  हम सभी माता का आवाहन करैगे। अब इन नौ दिनौ मे हम माता के नौ रूपौ की आराधना करेगें।इनका वर्णन इस प्रकार है:-

 प्रथमं शैल पुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघन्टेति कूष्माणडेति चतुर्थकं।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री चनवदुर्गा प्रकीर्तिता।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना।।

          अर्थात पहले दिन हम शैलपुत्री की आराधना करते है दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी माता की तीसरे दिन चन्द्रघन्टा माता के रूप की पूजा होती है। चतुर्थ दिन कूष्माण्ड माता के रुप की  पांचवे दिन स्कन्द माता की व छठवे दिन कात्यायनी माता के रूप को पूजा जाता  है। सातवे दिन कालरात्री की आठवे दिन महागौरी व नवमे दिन सिद्धिदात्री माता की पूजा होती है।

      उसकी दादी ने आगे बताया कि इस तरह नौ दिन तक हर रोज पूजा पाठ चलता है । कुछ लोग इन नौ दिन उपवास रखते है। वह केवल फल आदि खाकर रहते है ।कुछ लोग लौग का जोडा़ खाकर भी उपवास करते हैं।

      इस तरह नौ दिन तक सभी लोग दुर्गा की पूजा आराधना करते है। इन दिनौ मे हर रोज माता का हवन यज्ञ भी किया जाता है माता की आरती की जाती है। कुछ लोग अपने घरौ में नौ दिन तक अखण्ड ज्योति भी प्रज्वलित करते है।

      इन नौ दिनौ मे जगह जगह माता का जागरण किया जाता है। पण्डाल लगाकर माता का दरबार सजाया जाता है। वहाँ पर भजन गायक माता की भैट सुनाते है फिर सुबह माता की आरती की जाती है और इसके बाद छोले व हलुवा का  प्रसाद बाँटा जाता है।

        माता के जागरण में आस पास के लोग आते है और माता का गुणगान करते है। बहुत से लोग वैष्णो देवी के दरवार में जाकर माता की पूजा करते है 

      अष्टमी व नवमी के दिन घरौ मे माता की पूजा के बाद कन्याऔ को भोजन करवाते है। कन्याऔ को कुछ गिफ्ट भी दीजाती है।  कन्याऔ के भोजन के बिना यह पूजा आधूरी रह जाती है। इस लिए कन्या पूजन का बहुत महत्व माना जाता है।

         इस प्रकार हमारे सनातन व हिन्दू धर्म मे दुर्गा पूजा का बहुत महत्व है यह त्यौहार बंगाल मे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। बैसे तो आब पूरे भारत में यह धूमधाम से मनाया जाता है। परन्तु बंगाल में आज भी  दुर्गा पूजा का बहुत महत्व है।

     सौनू अपनी दादी की बातै बहुत ध्यान से सुन रहा था। अब वह भी बोला," दादी यह पूजा मैं भी करूँगा।

30 Days Festival Competition हेतु रचना।

नरेश शर्मा  " पचौरी "

18/10/2022

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6 Comments

Shnaya

21-Oct-2022 06:41 PM

बहुत खूब

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shweta soni

20-Oct-2022 10:08 PM

Bahut khub

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Bahut khoob 💐👍

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